पोस्टपार्टम साइकोसिस एक दुर्लभ मानसिक बीमारी है जो डिलीवरी के बाद महिलाओं को होती है। यह बीमारी बहुत दुर्लभ है कि यह पांच सौ में से एक महिला को होती है। पोस्टपार्टम साइकोसिस को गंभीरता से लिया जाना चाहिए और इसे मेडिकल इमरजेंसी माना जाना चाहिए क्योंकि यह महिला को नुकसान पहुंचा सकता है। पोस्टपार्टम डिप्रेशन के लक्षण डिलीवरी की तारीख के आसपास दिखाई देने लगते हैं। लक्षण अक्सर गंभीर होते हैं जो महिला और परिवार दोनों के लिए डरावने हो सकते हैं।
अगर आपके परिवार में पोस्टपार्टम साइकोसिस की हिस्ट्री रही है तब आपको भी पोस्टपार्टम साइकोसिस का रिस्क हो सकता है। अगर आप पहले से ही बाइपोलर डिसऑर्डर से पीड़ित हैं, तब अगर प्रेगनेंट होने पर ज्यादा मूड स्विंग हो तो पोस्टपार्टम साइकोसिस होने का खतरा हो सकता है। इस केस में लक्षणों के दिखाई देने का इंतजार न करें। अगर आप जानते हैं कि आपको इसके होने का खतरा है तो डिलीवरी से पहले ही डॉक्टर से बात करें और कोई खतरनाक घटना को रोकने के लिए उपाय करें।
अपने बारे में और परिवार की मेडिकल हिस्ट्री के बारे में अपने डॉक्टर से बात करें। वह आपको एक मनोचिकित्सक जाने के लिए कह सकता है या फिर वह आपको एंटीसाइकोटिक और मूड बूस्टर दवाएं दे सकता है। प्रेगनेंसी के दौरान अपने मूड को डायरी में रिकॉर्ड करें। अपने परिवार को इस बारे में बताएं और उन्हें इसे संभालने के तरीके के बारे में शिक्षित करें।
डिलीवरी के बाद
पोस्टपार्टम डिप्रेशन एक मेडिकल इमरजेंसी है और इसका इलाज किया जाना जरूरी है। इसका इलाज संभव है। इसलिए डॉक्टर से मदद लेने के लिए लक्षणों का अनुभव होने तक इंतजार न करें।