प्रेगनेंसी की पहली तिमाही के दौरान महिलाएं अपनी इच्छा के अनुसार सो सकती हैं। पहली तिमाही के दौरान पीठ, बाजू या पेट के बल सोना सुरक्षित है। यूटेरस के आकार के कारण नींद में खलल नहीं होता है। हालांकि हार्मोन में बदलाव, रात में भूख लगना, मतली और प्रेगनेंसी के अन्य लक्षण के कारण नींद आने में मुश्किल हो सकती है। दूसरी और तीसरी तिमाही में आते ही महिलाओं को बायीं करवट से सोने की सलाह दी जाती है। इससे लीवर पर दबाव नहीं पड़ता, यूटेरस में ब्लड फ्लो बढ़ता है। वे प्रेगनेंट महिलाएं जिन्हें कूल्हे या पीठ की परेशानी है, वे सोते समय अपने घुटनों के बीच एक या दो तकिए रखने या अपने घुटनों को मोड़ने से उन्हें बेहतर महसूस करने में मदद मिलेगी। प्रेगनेंसी के दौरान आरामदायक नींद पाने के लिए नीचे कुछ पोजिशनिंग टिप्स दी गई हैं।