किसी भी महिला के लिए प्रेगनेंसी सबसे सुखद अनुभव होता है लेकिन जानकारी के अभाव में उलझन बढ़ जाती है। अगर आपको मिस्ड पीरियड्स, ब्लीडिंग, पेल्विक एरिया में दर्द और मतली हो तो तुरंत हमारे एक्सपर्ट डॉक्टर से सम्पर्क करें।
अंडे से निषेचन (फर्टिलाइजेशन) से लेकर डिलीवरी तक प्रेगनेंसी के लिए एक महिला के शरीर को कई चरणों से गुजरना पड़ता है। इनमें से एक चरण ये भी होता है, जब एक निषेचित अंडा (फर्टिलाइज्ड एग) खुद को जोड़ने के लिए बच्चेदानी (यूटेरस) में जाता है। एक्टोपिक प्रेगनेंसी जिसे अस्थानिक गर्भावस्था कहते हैं, इसमें फर्टिलाइज्ड एग बच्चेदानी (यूटेरस) से नहीं जुड़ता है। इसके बजाय, यह फैलोपियन ट्यूब, एब्डोमिनल कैविटी यानी उदर गुहा या गर्भाशय ग्रीवा (सर्विक्स) से जुड़ जाता है। प्रेगनेंसी टेस्ट करवाने से पता चलता है कि महिला प्रेगनेंट है, एक फर्टिलाइज्ड एग युटेरस के अलावा कहीं भी ठीक से विकसित नहीं हो सकता है। एक्टोपिक प्रेगनेंसी सामान्य रूप से आगे नहीं बढ़ सकती है। इसमें फर्टिलाइज्ड एग जीवित नहीं रह सकता है, और अगर इसका इलाज न करवाया जाए तो बढ़ते हुए टिश्यू खतरनाक ब्लीडिंग का कारण बन सकते हैं। इलाज न करवाने पर मेडिकल इमरजेंसी की स्थिति बन सकती है।
एक्टोपिक प्रेगनेंसी की शुरुआत में कोई लक्षण नजर नहीं आता है। हालांकि कुछ महिलाओं को एक्टोपिक प्रेगनेंसी में मिस्ड पीरियड, स्तनों में कोमलता और मतली जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। ऐसे में प्रेगनेंसी टेस्ट करवाने पर रिजल्ट पॉजिटिव आएगा। फिर भी एक्टोपिक प्रेगनेंसी सामान्य रूप से जारी नहीं रह सकती है। जैसे ही फर्टिलाइज्ड एग दूसरी जगह पर बढ़ता है, लक्षण ध्यान देने योग्य हो जाते हैं।
अक्सर एक्टोपिक प्रेगनेंसी के शुरुआती संकेत वेजाइना से ब्लीडिंग और पेल्विक एरिया में दर्द होता है। अगर फैलोपियन ट्यूब से खून का रिसाव होता है तो कंधे में दर्द या स्टूल पास करने की इच्छा महसूस हो सकती है। इसके अलावा भी कुछ और लक्षण दिखाई दे सकते हैं, लेकिन वे इस बात पर निर्भर करते हैं कि खून कहां कलेक्ट होता है और कौन सी नसें उत्तेजित होती है।
अगर फर्टिलाइज्ड एग फैलोपियन ट्यूब में बढ़ता रहता है, तो यह ट्यूब के फटने का कारण बन सकता है। पेट के अंदर भारी ब्लीडिंग होने की संभावना होती है। इमरजेंसी कंडीशन में बेहोशी हो सकती है।
एक्टोपिक प्रेगनेंसी का कारण हमेशा स्पष्ट नहीं होता है। कुछ मामलों में निम्न कंडीशन एक्टोपिक प्रेगनेंसी जुड़ी हुई है:
एक्टोपिक प्रेगनेंसी को उसकी जगह के हिसाब से बांटा गया है जहां असल में फर्टिलाइज्ड एग इम्प्लांट होता है। इस आधार पर एक्टोपिक प्रेगनेंसी कई तरह की होती है।
ट्यूबल प्रेगनेंसी
ट्यूबल प्रेगनेंसी तब होती है जब एग फैलोपियन ट्यूब में इम्प्लांट हो जाता है। यह एक्टोपिक प्रेगनेंसी का सबसे आम प्रकार है और ज्यादातर एक्टोपिक प्रेगनेंसी ट्यूबल प्रेगनेंसी होती है। ट्यूबल प्रेगनेंसी के प्रकार को आगे इस आधार पर बांटा गया है कि फैलोपियन ट्यूब के अंदर प्रेगनेंसी कहां होती है।
ओवेरियन एक्टोपिक प्रेगनेंसी
ओवेरियन एक्टोपिक प्रेगनेंसी नॉन-ट्यूबल एक्टोपिक प्रेगनेंसी का एक दुर्लभ रूप है। यह पहली तिमाही के अंत से पहले रप्चर होने के साथ खत्म हो जाती है। ओवेरियन एक्टोपिक प्रेगनेंसी के लिए जरूरी जोखिम कारकों में से एक इंट्रा यूटेरिन डिवाइस (आईयूडी) का इस्तेमाल है।
एब्डोमिनल एक्टोपिक प्रेगनेंसी
एब्डोमिनल एक्टोपिक प्रेगनेंसी एक दुर्लभ प्रकार की एक्टोपिक प्रेगनेंसी है जहां डेवलपिंग एम्ब्रो का इम्प्लांटेशन और पेरिटोनियल कैविटी के अंदर बढ़ता है।
सर्वाइकल एक्टोपिक प्रेगनेंसी
सर्वाइकल एक्टोपिक प्रेगनेंसी में गैस्टेशनल सेक यानी गर्भकालीन थैली सर्विक्स कैनल में इम्प्लांट हो जाती है। एक्टोपिक प्रेगनेंसी के केस बहुत दुर्लभ हैं।
कुछ चीजें है एक्टोपिक प्रेगनेंसी होने की संभावना ज्यादा बनाती हैं, ये निम्न हैं:
पिछली एक्टोपिक प्रेगनेंसी:- अगर पहले भी इस प्रकार की प्रेगनेंसी हुई है तो दूसरी बार भी एक्टोपिक प्रेगनेंसी होने की संभावना ज्यादा होती है।
सूजन या इंफेक्शन:- सेक्सुअल ट्रांसमिटेड इंफेक्शन जैसे गोनोरिया या क्लैमाइडिया, ट्यूबों और आस-पास के अन्य अंगों में सूजन पैदा कर सकते हैं, और एक्टोपिक प्रेगनेंसी के जोखिम को बढ़ा सकते हैं।
फर्टिलिटी ट्रीटमेंट:- कुछ रिसर्च बताते हैं कि जो महिलाएं इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) या इसी तरह के उपचार लेती हैं, उनमें एक्टोपिक प्रेगनेंसी होने की संभावना ज्यादा होती है। इनफर्टिलिटी इसके जोखिम को बढ़ा सकती है।
ट्यूबल सर्जरी:- बंद या क्षतिग्रस्त फैलोपियन ट्यूब को ठीक करने के लिए सर्जरी से एक्टोपिक प्रेगनेंसी का खतरा बढ़ सकता है।
चुना गया बर्थ कंट्रोल:- इंट्रा यूटेरिन डिवाइस (आईयूडी) का इस्तेमाल करते समय प्रेगनेंट होने की संभावना दुर्लभ है। हालांकि अगर कोई महिला आईयूडी के साथ प्रेगनेंट हो जाती हैं तब इसके एक्टोपिक प्रेगनेंसी होने की संभावना ज्यादा होती है। ट्यूबल लिगेशन एक परमानेंट बर्थ कंट्रोल है, जो ट्यूब को बांधे रखता है, यह भी एक्टोपिक प्रेगनेंसी के जोखिम को बढ़ाती है।
स्मोकिंग:- प्रेगनेंसी होने से ठीक पहले सिगरेट पीने से एक्टोपिक प्रेगनेंसी का खतरा बढ़ सकता है। जितना ज्यादा स्मोकिंग करते हैं, उतना ही ज्यादा जोखिम होता है।
Cicle एक हेल्थ फ्रेंडली एप्लीकेशन है, जहां आप प्रेगनेंसी से जुड़े मामलों में कंसल्ट कर सकती है। आप अपनी सुविधा अनुसार घर बैठे ही हमारे एक्सपर्ट डॉक्टर की टीम से मदद ले सकती हैं।आप चाहे तो हमारे डॉक्टर से अपॉइंटमेंट बुक कर अपने घर पर ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सलाह ले सकती हैं। अपॉइटमेंट बुक करने के लिए यहां क्लिक करें।
ज्यादातर महिलाएं सोचती हैं कि एक्टोपिक प्रेगनेंसी हमेशा इमरजेंसी की कंडीशन होती है। लेकिन ऐसा नहीं है, अगर एक्टोपिक प्रेगनेंसी रप्चर हो जाती है तब इमरजेंसी की कंडीशन होती है अगर ऐसी स्थिति बनती है तो डॉक्टर एब्नॉर्मल इम्प्लांट फर्टिलाइज्ड एग को हटा देते हैं। कुछ महिलाएं ये भी सोचती हैं कि एक बार एक्टोपिक प्रेगनेंसी होने के बाद दोबारा कंसीव करने में परेशानी आती है, लेकिन ये सच नहीं है कि सिर्फ 30 फीसदी मामलों में ही महिलाओं को प्रेगनेंसी कंसीव करने में परेशानी आती है।
डॉक्टर एक्टोपिक प्रेगनेंसी के लिए कई तरह की जांच कर सकते हैं।
पेल्विक एग्जाम:- पेल्विक एग्जाम कर डॉक्टर को दर्द, कोमलता, या फैलोपियन ट्यूब या ओवरी में मास की पहचान करने में मदद कर सकती है। हालांकि सिर्फ पेल्विक एग्जाम कर एक्टोपिक प्रेगनेंसी होने के बारे में नहीं बताया जा सकता है, इसके लिए ब्लड टेस्ट और अल्ट्रासाउंड की जरूरत होगी।
अल्ट्रासाउंड:- एक ट्रांसवेजिनल अल्ट्रासाउंड के जरिए प्रेगनेंसी की सटीक जगह देख सकते हैं। इस टेस्ट के लिए वेजाइना में डिवाइस डाली जाएगी, जिससे यूटेरस, ओवरी और फैलोपियन ट्यूब की इमेज बनाने के लिए साउंड वेव्स का इस्तेमाल करता है। एब्डोमिनल अल्ट्रासाउंड यानी पेट का अल्ट्रासाउंड, इसमें पेट के ऊपर एक अल्ट्रासाउंड वैंड ले जाया जाता है, इसका इस्तेमाल कर प्रेगनेंसी की पुष्टि करने या इंटरनल ब्लीडिंग को जांचने के लिए किया जा सकता है।
ब्लड टेस्ट:- एनीमिया या खून की कमी के अन्य लक्षणों की जांच के लिए कंप्लीट ब्लड काउंट टेस्ट किया जाएगा। अगर एक्टोपिक प्रेगनेंसी का पता चला है तब डॉक्टर खून के प्रकार की जांच करने के लिए टेस्ट का कह सकते हैं।
तुरंत जांच और इलाज के बिना एक्टोपिक प्रेगनेंसी महिला की जिंदगी के लिए खतरा हो सकती है। इलाज प्रेगनेंसी को नहीं बचा सकती है।
इसमें निम्न संभावित जटिलताएं शामिल हैं:
इंटरनल ब्लीडिंग:- इससे गंभीर नतीजे देखने को मिल सकते हैं। इलाज में देरी होने पर खतरा और बढ़ जाता है।
फैलोपियन ट्यूब को नुकसान- इससे भविष्य में प्रेगनेंट होने में मुश्किल हो सकती है। एक डैमेज्ड या क्षतिग्रस्त फैलोपियन ट्यूब को हटाने के बाद भविष्य में प्रेगनेंसी मुमकिन है। अगर दोनों को हटा दिया जाए तो प्रेगनेंट होने की उम्मीद कर रही महिलाओं के लिए आईवीएफ बेहतर विकल्प होता है।
एक्टोपिक प्रेगनेंसी को रोकना संभव नहीं है। हालांकि कोई महिला पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज के अपने जोखिम को कम कर सकती है, जिससे जो फैलोपियन ट्यूब को नुकसान पहुंच सकता है और एक्टोपिक प्रेगनेंसी के जोखिम को बढ़ा सकता है। क्लामेडिया और गोनोरिया जैसे सेक्सुअल ट्रांसमिटेड डिजीज पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज होने का कारण हैं। सेक्स के दौरान प्रोटेक्शन का इस्तेमाल करना, जैसे कि कंडोम, इससे इंफेक्शन को फैलने से रोकने में मदद मिल सकती है। स्मोकिंग छोड़ने से एक्टोपिक प्रेगनेंसी का खतरा कम हो सकता है। अगर किसी को एक्टोपिक प्रेगनेंसी हुई है तो उसे फिर से होने का खतरा बढ़ जाता है। इस स्थिति में यह जरूरी है कि वह प्रेगनेंसी कंसीव करने के लिए तैयार होने तक बर्थ कंट्रोल का इस्तेमाल करें, खासकर अगर एक फैलोपियन ट्यूब को हटा दिया गया है। डॉक्टर को पिछले एक्टोपिक प्रेगनेंसी के बारे में बताना जरूरी है। इससे उन्हें भविष्य में होने वाली किसी भी एक्टोपिक प्रेगनेंसी का ज्यादा तेज़ी से पता लगाने में मदद मिल सकती है।
फैलोपियन एक्टोपिक प्रेगनेंसी उन महिलाओं में दोबारा होना आम है, जिन्हें पहले भी फैलोपियन एक्टोपिक प्रेगनेंसी हो चुकी है। ऐसे मामलों में जोखिम 40% होता है। इसलिए डॉक्टर अक्सर यह सलाह देते हैं कि फेटस के साथ-साथ पूरी फैलोपियन ट्यूब को हटा दें। ओवुलेशन चक्र अन्य फैलोपियन ट्यूब की तरह ही जारी रह सकता है। यह प्रक्रिया दूसरी बार सामान्य प्रेगनेंसी की संभावना को बढ़ाएगी। अगली प्रेगनेंसी के संकेतों और लक्षणों का ध्यान रखें और किसी भी तरह के रप्चर या इमरजेंसी कंडीशन से बचने के लिए पीरियड छूटने के 6-8 हफ्ते के अंदर अल्ट्रासाउंड कराएं।
अगर एक्टोपिक प्रेगनेंसी का कोई भी लक्षण दिखाई दें तो इमरजेंसी मेडिकल हेल्प लें:
एक्टोपिक प्रेगनेंसी मां के लिए सुरक्षित नहीं होती है। इसके अलावा भ्रूण (एम्ब्रो) विकसित नहीं हो पाएगा। मां की सेहत और लॉन्ग-टर्म फर्टिलिटी के लिए एम्ब्रो को जल्द से जल्द निकालना जरूरी है। उपचार के विकल्प एक्टोपिक प्रेगनेंसी की जगह और उसके विकास के आधार पर अलग-अलग होते हैं।
दवाएं
डॉक्टर एक्टोपिक प्रेगनेंसी के मामले में कई दवाएं लिख सकता है जो एक्टोपिक मास को फटने से रोक सकती है। इसके लिए एक सामान्य दवा मेथोट्रेक्सेट (Rheumatrex) दी जाती है। मेथोट्रेक्सेट एक दवाई है, जो तेजी से बंटने वाली कोशिकाओं के डेवलप होने से रोकती है, जैसे कि एक्टोपिक मास की कोशिकाएं। डॉक्टर इसे इंजेक्शन के रूप में देगा। यह सुनिश्चित करने के लिए कि दवा असरकारक है, नियमित रूप से ब्लड टेस्ट भी करवाना चाहिए। यह दवाई मिसकैरेज के समान लक्षणों का कारण बनेगी। इसमें निम्न चीजें शामिल है:
इसके बाद बहुत ही कम केस में सर्जरी की जरूरत होती है। मेथोट्रेक्सेट से फैलोपियन ट्यूब को नुकसान नहीं पहुँचता है, जैसा कि सर्जरी में होता है। इस दवाई को लेने के बाद कई महीनों तक प्रेगनेंट नहीं हो पाएंगी।
कई सर्जन एक्टोपिक प्रेगनेंसी के केस में एम्ब्रो को हटाने और किसी भी इंटरनल डैमेज की मरम्मत करने का सुझाव देते हैं। इस प्रक्रिया को लैपरोटोमी कहते हैं। डॉक्टर एक छोटे से चीरे के जरिए एक छोटा कैमरा डालेंगे और एम्ब्रो को हटा देंगे। अगर फैलोपियन ट्यूब को किसी भी तरह का डैमेज हुआ तो डॉक्टर उसकी भी मरम्मत करते हैं।
अगर सर्जरी नाकामयाब होती है तो सर्जन दोबारा लैपरोटोमी कर सकते हैं, इस बार डॉक्टर एक बड़े चीरे के जरिए एम्ब्रो हटाएंगे, हो सकता है दूसरी बार की सर्जरी में फैलोपियन ट्यूब को भी हटाने की जरूरत हो सकती है अगर इसमें चोट लगी हुई है या यह क्षतिग्रस्त है।
सर्जरी से पहले डॉक्टर आपसे कुछ जानकारियां मांग सकते हैं:
सर्जरी के बाद चीरों की देखभाल के संबंध में डॉक्टर आपको जरूरी जानकारी देंगे। सर्जरी के बाद चीरों को ठीक करने के लिए साफ और सूखा रखना है। किसी भी तरह के इंफेक्शन के संकेतों के लिए रोजाना जांच करें, जिसमें निम्न चीजें शामिल हो सकती हैं:
सर्जरी के बाद हल्की वेजाइनल ब्लीडिंग और छोटे ब्लड क्लॉट्स आ सकते हैं। ऐसा सर्जरी के छह हफ्ते बाद तक हो सकता है। इसके अलावा भी आप निम्न उपाय कर सकते हैं, जैसे कि ज्यादा भारी सामान न उठाएं, कब्ज को रोकने के लिए खूब सारे तरल पदार्थ पिएं, पैल्विक आराम यानी कि सेक्स और टैम्पोन के इस्तेमाल से बचें। सर्जरी के बाद पहले हफ्ते में जितना हो सके आराम करें, अगर किसी तरह का दर्द बढ़ता है तो अपने डॉक्टर से बात करें।
एक्टोपिक प्रेगनेंसी में कोई विशेष डाइट नहीं लेनी होती, लेकिन अगर आप सर्जरी करवा रही हैं तो डॉक्टर से जरूर सलाह लें कि क्या खाना है और क्या नहीं। आप चाहे तो हमारी डाइटीशियन से भी सलाह ले सकती हैं।
एक्टोपिक प्रेगनेंसी के बारे में जल्दी पता चल जाता है तब दवाइयों के जरिए इलाज किया जा सकता है, लेकिन देरी से पता चलने पर सर्जरी का ही विकल्प बचता है। इसलिए ऐसी किसी भी असुविधा से बचने के लिए पीरियड्स मिस होने पर या कोई लक्षण होने पर डॉक्टर से सलाह लें।
क्या एक्टोपिक प्रेगनेंसी से महिला की मौत हो सकती है?
हां, अगर एक्टोपिक प्रेगनेंसी के एम्ब्रो को समय पर नहीं हटाया गया तो महिला की ब्लीडिंग के कारण मौत हो सकती है।
दोबारा प्रेगनेंट होने की कोशिश करने से पहले महिला को कितना इंतजार करना चाहिए?
डॉक्टरों का सुझाव है कि एक्टोपिक प्रेगनेंसी का एक मामला होने के बाद फिर से प्रेगनेंसी कंसीव करने की कोशिश करने से पहले कम से कम 3-6 महीने तक इंतजार करें।
क्या एक्टोपिक प्रेगनेंसी में बच्चे को बचाया जा सकता है?
नहीं, फेटस को एक्टोपिक प्रेगनेंसी में नहीं बचाया जा सकता क्योंकि फेटस को डेवलप होने के लिए पर्याप्त जगह और पोषक तत्व नहीं मिल पाते हैं।
नेशनल हेल्थ सर्विस, यूके की एक रिपोर्ट के मुताबिक, हर 90 प्रेगनेंसी में से एक एक्टोपिक है। इसी तरह एक साल में 11,000 से ज्यादा एक्टोपिक प्रेगनेंसी होती है। कई महिलाएं पीरियड्स मिस्ड हो जाने पर तुरंत डॉक्टर के पास नहीं जाती, जबकि उन्हें तुरंत डॉक्टर से सलाह लेना चाहिए ताकि अगर किसी तरह की कोई समस्या हो तो उसे शुरूआती स्तर पर ही पहचान कर उसका इलाज किया जा सके। अगर आपको इसे लेकर कन्फ्यूजन है तो हमारे डॉक्टर आपकी मदद कर सकते हैं। आप चाहें तो वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हमारे एक्सपर्ट डॉक्टर से भी चर्चा कर सकते हैं।अपॉइंटमेंट बुक करने के लिए यहां क्लिक करें।