प्रेगनेंसी यानी गर्भाधान (Conception) तब होता है जब एक हेल्दी स्पर्म एक एग को फर्टिलाइज करता है। प्रेगनेंसी होने के लिए ओवुलेशन होना चाहिए। ओवुलेशन तब होता है जब ओवरी में से एक हेल्दी एग रिलीज होता है जो फैलोपियन ट्यूब के जरिए नीचे जाता है। जिसके बाद स्पर्म इसे फर्टिलाइज करता है तब प्रेगनेंसी होती है। अगर आप प्रेगनेंट होने की कोशिश कर रही हैं तो यह जरूरी है कि आप अपने मासिक चक्र (menstruation cycle) को जानें, ताकि यौन संबंध बनाने का सही समय पता लगा सके।
जब एग फर्टिलाइज हो जाता है, तो यह यूटेरस में जाकर खुद को इम्प्लांट करता है। सिर्फ एग फर्टिलाइज हो जाए इसका मतलब यह नहीं है कि प्रेगनेंसी हो जाएगी।
कभी-कभी एक भ्रूण फैलोपियन ट्यूब में खुद को इम्प्लांट कर लेता है, लेकिन इसे एक्टोपिक प्रेगनेंसी कहा जाता है। एक्टोपिक प्रेगनेंसी बहुत खतरनाक होता है, अगर इसका जल्दी पता नहीं लगाए जाए तो फैलोपियन ट्यूब टूट सकती है। अगर एग या स्पर्म की क्वालिटी ठीक नहीं है तो इम्प्लांटेशन नहीं होगा, जिससे प्रेगनेंसी नहीं होगी। एक महिला तब तक प्रेगनेंट नहीं होती जब तक कि इम्प्लांटेशन नहीं हो जाता।
अगर इम्प्लांटेशन होता है तो प्रेगनेंसी हो जाती है और युग्मनज कोशिकाएं (zygote cells) विभाजित होने लगती हैं, और ज़ायगोट एम्ब्रो (embryo) बन जाता है। आठ हफ्ते के बाद एम्ब्रो फेटस बन जाता है।
आप प्रेगनेंट हैं या नहीं, यह जानने का सबसे बेहतर तरीका है कि प्रेगनेंसी टेस्ट कराया जाए। शरीर प्रेगनेंसी के लक्षण जल्दी दिखाना शुरू कर सकता है जैसे कि जी मिचलाना, थकान, पीरियड न आना, इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग। इसलिए जरूरी है कि सुनिश्चित करने के लिए प्रेगनेंसी टेस्ट करवाएं।