क्या पीसीओएस और डायबिटीज के बीच कोई संबंध है?

By Cicle Health on 5 Aug, 2022
क्या पीसीओएस और डायबिटीज के बीच कोई संबंध है?

टाइप 2 डायबिटीज और पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं में एंड्रोजन का उच्च स्तर होता है, जिसे पुरुष हार्मोन के रूप में जाना जाता है, और उनके एंडोक्राइन सिस्टम बाधित होते हैं।

पीसीओएस के कुछ लक्षण इस प्रकार हैं:

  • पेल्विक एरिया में दर्द
  • मुहांसे
  • हाई ब्लड प्रेशर
  • इनफर्टिलिटी
  • चेहरे और शरीर के बालों का बहुत ज्यादा बढ़ना, जिसे हिर्सुटिज़्म भी कहा जाता है।
  • दर्दनाक माहवारी

पीसीओएस में उच्च स्तर के इंसुलिन रेजिस्टेंस का हिस्सा होता है। इंसुलिन रिसेप्टर्स के जरिए होने वाला इंसुलिन रेजिस्टेंस पेन्क्रियाज को ज्यादा मात्रा में इंसुलिन बनाने का कारण बनता है। इंसुलिन रेजिस्टेंस का एंडोक्राइन सिस्टम पर गलत असर पड़ सकता है, जिससे टाइप 2 डायबिटीज होने का खतरा का खतरा बढ़ जाता है।

जब शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन को रिजेक्ट करना शुरू कर देती हैं, जब बहुत ज्यादा मात्रा में इंसुलिन बनने लगता है, या जब दोनों स्थिति बन जाती है, तब टाइप 2 डायबिटीज डेवलप हो जाती है। इस फैक्ट के बाद भी नियमित रूप से एक्सरसाइज और हेल्दी डाइट से टाइप 2 डायबिटीज को नियंत्रित किया जा सकता है।

असल में पीसीओएस से प्रभावित महिलाओं में डायबिटीज और दिल के गंभीर रोगों के होने की संभावना बढ़ जाती है। पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं को बिना पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं की तुलना में टाइप 2 डायबिटीज की जांच कम समय में बार-बार करानी चाहिए। पीसीओएस से पीड़ित प्रेगनेंट महिलाओं में गर्भकालीन डायबिटीज (Gestational diabetes) होने की संभावना तीन गुना ज्यादा होती है। प्रेगनेंट महिलाओं को गर्भावधि डायबिटीज के लिए नियमित जांच करानी चाहिए।

दो बीमारियों के लिए थेरेपी एक साथ या एक दूसरे के विरोध में काम कर सकते हैं। जैसे कि पीसीओएस के इलाज के लिए बर्थ कंट्रोल दवाओं का भी इस्तेमाल किया जाता है। कुछ परिस्थितियों में, गर्भनिरोधक गोलियां मुंहासों को साफ करने और मासिक धर्म को नियंत्रित करने में मदद कर सकती हैं। कुछ गर्भनिरोधक गोलियों में ब्लड ग्लूकोज के स्तर को बढ़ाने की क्षमता होती है, जो डायबिटीज रोगियों के लिए संदिग्ध है।

अगर पीसीओएस की समस्या है तो डायबिटीज होने की संभावना बढ़ जाती है, इसलिए, आपको अपने डॉक्टर के साथ बेहतर उपचार को लेकर चर्चा करनी चाहिए। डाइट और दवाइयों में बदलाव कर हेल्थ मैनेजमेंट बेहतर कर सकते हैं।

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