हम अमीर पैदैा नहीं हुए थे । कभी-कभी तो दिन में तीन बार भोजन करना भी मुश्किल होता था, लेकिन माँ ने कभी ये अहसास नहीं होने दिया । मुझे नहीं पता कि उसे ताकत कहां से मिली थी । लेकिन वह घर से चली जाती थी और खाने के लिए पर्याप्त पैसे लेकर वापस आती थी। उन्होंने यह तय किया कि मुझे स्कूल में किसी चीज की कमी न हो । मुझे याद है कि एक दिन मैं रोते हुए घर आया था क्योंकि मेरे स्कूल के कुछ साथी मेरी फटी हुई वर्दी पर हँसे थे। मैं यह महसूस करने के लिए बहुत छोटा था कि माँ की आँखों से जो आँसू निकले, वे दर्द और दुःख के आँसू थे । अगले दिन उन्होने मुझे एक नई वर्दी दी । मेरी मां ने हमेशा मेरे और मेरे भाई के लिए कुर्बानी दी है। मुझे आशा है कि जब वह जीवित थी तो मेरे पास आधी शक्ति होगी । माँ फरिश्तों की तरह होती हैं, जो हमेशा अपने बच्चों का पालन-पोषण करती हैं और उनका मार्गदर्शन करती हैं। काश मुझे पता होता कि वह हमें कब छोड़कर जल्दी चली जाएंगी । मैं उसके गालों को चूम लेता और उसके हाथों को पकड़ लेता। अब तो सिर्फ तस्वीरो में और ख्वाबों में उसका चेहरा नजर आता है । मैं वास्तव में उन्हें याद करता हूं, वह महिला जिसने सब कुछ त्याग दिया ताकि मैं एक बेहतर जीवन जी सकूं ।