पीहू को अपनी जिंदगी का आधा वक्त गुजरने के बाद 18 साल की उम्र में बाइपोलर होने का पता चला था। उसने एक हाईस्कूल की स्टूडेंट के दौरान खुद को बहुत नुकसान पहुंचाया और स्कूल अथॉरिटी ने कई बार उसे स्कूल के काउंसलर के पास भेजा।
मेरी मानसिक सेहत हमेशा खराब रही है। मुझे 18 साल की उम्र में बाइपोलर डिसऑर्डर का पता चला था और मैंने अपना ज्यादातर बचपन थेरेपी में ही गुजारा। मेरे स्कूल के काउंसलर जोर देकर कहते रहे कि मैं नाटक कर रही हूं।
भावनाओं के उतार-चढ़ाव पर होने के कारण वह मदद के लिए ड्रग्स लेने लगी। बदकिस्मती से उसने ओवरडोज़ लेना शुरू कर दिया और लगभग अपनी जान ही गंवा दी।
बीते साल अगस्त में मैंने एक अस्पताल में होश संभाला और तब मुझे बताया गया कि हेरोइन लेने के कारण ऑर्गन्स को नुकसान हुआ, जिससे मैं कोमा में थी। अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद मैंने कोई रास्ता तलाशने का फैसला किया। उस समय मुझे एहसास हुआ कि मैं असल में मरना नहीं चाहती थी और मेरी खुद को नुकसान पहुंचाने की प्रवृत्ति असल में मदद की पुकार थी।
पीहू ने थेरेपी का सोचा। अपने डॉक्टर की मदद से अपनी परेशानी का सही कारण खोज सके। उसे आर्ट थेरेपी का सुझाव दिया गया।
पीहू ने बताया कि मैं अब अपनी कला के जरिए खुद को व्यक्त करती हूं। मेरी पेंटिंग और ड्राइंग मेरे लिए खुद को पूरी तरह से व्यक्त करने और मेरी मानसिक सेहत को नियंत्रण में रखने के लिए एक आउटलेट बन गए हैं। मेरे कामों को देश भर की आर्ट गैलरी में प्रदर्शित किया गया है, और हर बार मुझे तारीफ मिली। अब मैं अपने काम के पीछे की कहानी और अब तक की प्रगति के बारे में सोचती हूं।
पीहू जैसी सैकड़ों महिलाएं हैं जो अपनी मानसिक सेहत को लेकर भ्रमित हैं और इससे जुड़े कलंक के कारण मदद नहीं ले सकती हैं। कभी-कभी यह जानलेवा भी हो सकता है। मदद मांगकर इस कलंक को खत्म करें। आप पीहू की तरह हो सकते हैं, जिसे कला की सुंदरता में मदद मिल गई।