मुझे वह समय याद नहीं है, जब मैं मोटी नहीं थी। मैं हमेशा से ही साइज में बड़ी रही, यहां तक कि जब मैं छोटी बच्ची थी तब भी। सच तो यह है कि जब तक मैं कॉलेज नहीं गई, तब तक मुझसे इससे कोई फर्क नहीं पड़ा। जब कॉलेज गई, तब वहां के तनाव से हेल्दी तरीके से निपटने के बजाय मैं गैरसेहतमंद खाना खाती रही। एक हद तक यह बहाना बनाना मेरा डिफेन्स सिस्टम बन गया। मैंने तनाव के रास्ते में बेवजह खाना खाया। कुछ दिनों बाद मैंने देखा कि लोग मुझे अजीब तरह से देखने लगे हैं। कॉलेज खत्म होने के कुछ महीने पहले मुझे गैस्ट्रोएंटेराइटिस का पता चला था। कुछ ही समय बाद मैंने अपने एसोफेगस यानी अन्नप्रणाली और पेट की परत को ठीक करने के लिए सर्जरी करवाई, जो कि मेरे डाइट के कारण सालों से बन रहे एसिड के कारण अलग-अलग हिस्से में टूट गया था। मेरी अनहेल्दी खाने के कारण लगभग मैं मर सी गई थी। सर्जरी के बाद मुझे आखिरकार अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।
इसलिए मैंने वजन घटाने का प्रोग्राम जॉइन किया। एक न्यूट्रिशनिस्ट की मदद से मैं बहुत ज्यादा खाने पर कम निर्भर हो गई। मुझे डॉक्टर के पास भेजा गया, जिसने मुझे तनाव से निपटने के स्वस्थ तरीके सिखाए। मैं अब स्वस्थ और खुश हूं। जब आप कुछ ऐसा करते हैं जो आपको शुरू में मुश्किल लगता था, लेकिन बाद में अच्छा महसूस करने लगते हैं। यह लगभग ऐसा है, जैसे दुनिया आपकी है जीतने के लिए। मेरी सेहत के अलावा, मेरे वजन घटाने का मेरे करियर पर भी सकारात्मक असर पड़ा। मैं अब बहुत आत्मविश्वास के साथ अपनी जिंदगी जीती हूं और काम करती हूं।