फर्टिलिटी

By Cicle Health on 29 Nov, 2022
फर्टिलिटी

इनफर्टिलिटी से जुड़ी सभी जानकारी और उसके उपचार

अगर आपको प्रेगनेंसी कंसीव करने में परेशानी आ रही है, या आप इनफर्टिलिटी की समस्या से जूझ रहे हैं और उपचार की विधि को लेकर कन्फ्यूज है तो हमारे एक्सपर्ट डॉक्टर से सम्पर्क करें। हमारे फ्रेंडली डॉक्टर आपकी परेशानी और प्राथमिकता को जानकर आपको बेहतर उपचार का सुझाव देते हैं। घर बैठे ही हमारे डॉक्टर से सलाह लेने के लिए यहां क्लिक कर अपॉइंटमेंट बुक करें।

इनफर्टिलिटी क्या है?

इनफर्टिलिटी का मतलब है कि एक साल की कोशिश के बाद भी प्रेगनेंट नहीं होना। अगर कोई महिला की उम्र 35 साल से ज्यादा हैं और 6 महीने की कोशिश के बाद भी प्रेगनेंट नहीं हो पाई हैं, तब इनफर्टिलिटी की समस्या हो सकती है। जो महिलाएं प्रेगनेंसी कंसीव करने में सक्षम होती हैं, लेकिन प्रेगनेंसी कंसीव नहीं कर पाती हैं, उनमें भी इनफर्टिलिटी की समस्या का निदान किया जा सकता है। एक महिला जो कभी प्रेगनेंट नहीं हो पाई है, उसे प्राइमरी इनफर्टिलिटी का निदान किया जाएगा। एक महिला जिसकी पहले कभी सफल प्रेगनेंसी रही है, उसे सेकेंडरी इनफर्टिलिटी का निदान किया जाएगा।

इनफर्टिलिटी सिर्फ महिलाओं से जुड़ी समस्या नहीं है, बल्कि पुरुष भी इनफर्टाइल हो सकते हैं। असल में, पुरुषों और महिलाओं को समान रूप से फर्टिलिटी से जुड़ी समस्याएं होने की संभावना है। महिलाओं में इनफर्टिलिटी के कारणों में एंडोमेट्रियोसिस, यूटेरिन फाइब्रॉएड और थायरॉयड रोग शामिल हो सकते हैं। फर्टिलिटी प्रॉब्लम वाले पुरुषों में स्पर्म की संख्या कम या टेस्टोस्टेरोन कम हो सकता है। जैसे-जैसे आपकी उम्र बढ़ती है, इनफर्टिलिटी का खतरा बढ़ता जाता है।

इनफर्टिलिटी के लक्षण

महिलाओं में मासिक धर्म चक्र में बदलाव और ओवुलेशन इनफर्टिलिटी से जुड़ी बीमारी का लक्षण हो सकता है। इन लक्षणों में निम्न शामिल हैं:

असामान्य पीरियड्स:-

ब्लीडिंग सामान्य से ज्यादा भारी या हल्की होती है।

अनियमित पीरियड्स:-

हर पीरियड्स के बीच में दिनों की संख्या हर महीने बदलती रहती है।

कोई पीरियड्स नहीं: -

कभी भी पीरियड्स नहीं हुए हैं या पीरियड्स अचानक बंद हो गए हैं।

दर्दनाक पीरियड्स :-

इसमें पीठ दर्द, पैल्विक दर्द और ऐंठन हो सकती है।

कभी-कभी, महिला इनफर्टिलिटी हार्मोन समस्या से जुड़ी होती है। इस मामले में अन्य लक्षण भी दिखाई दे सकते हैं:

  • ज्यादा मुंहासे सहित त्वचा में बदलाव।
  • सेक्स ड्राइव और लिबिडो में बदलाव।
  • होठों, छाती और ठुड्डी पर काले बालों का बढ़ना।
  • बालों का झड़ना या बालों का पतला होना।
  • वजन बढ़ना।

डिसऑर्डर के अन्य लक्षण इनफर्टिलिटी का कारण बन सकते हैं, उनमें निम्न शामिल हैं:

  • निपल्स से दूधिया सफेद डिस्चार्ज जो ब्रेस्टफीडिंग से संबंधित नहीं है।
  • सेक्स के दौरान दर्द।

पुरुषों में इनफर्टिलिटी के लक्षण अस्पष्ट हो सकते हैं। जब तक कोई पुरुष बच्चा पैदा करने की कोशिश नहीं करता, तब तक इस पर किसी का ध्यान नहीं जा सकता। लक्षण इस बात पर निर्भर करते हैं कि इनफर्टिलिटी का कारण क्या है। इसमें निम्न लक्षण दिखाई दे सकते हैं:

  • बालों की ग्रोथ में बदलाव।
  • सेक्सुअल डिजायर में बदलाव।
  • टेस्टिकल में दर्द, गांठ या सूजन।
  • इरेक्शन और इजेकुलेशन की समस्या।
  • छोटे टेस्टिकल।

इनफर्टिलिटी के कारण

महिलाओं में इनफर्टिलिटी का मुख्य कारण यह है कि ओवुलेशन नहीं होता है, जिसका मतलब है कि ओवरी एग नहीं छोड़ती है। पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम नामक स्थिति इसका मुख्य कारण है।

दूसरे कारण भी फर्टिलिटी को प्रभावित कर सकते हैं:

  • फैलोपियन ट्यूब में समस्याएं जो ओवरी से यूटेरस तक एग ले जाती हैं। कभी-कभी ट्यूब इंफेक्शन या एंडोमेट्रियोसिस नामक स्थिति से स्कार टिश्यू के जरिए ब्लॉक हो सकती हैं।
  • स्मोकिंग से महिलाओं में फर्टिलिटी की समस्या हो सकती है।
  • ज्यादा वजन या कम वजन होना भी एक भूमिका निभा सकता है।
  • अगर एक एग फैलोपियन ट्यूब के जरिए अपना रास्ता बनाता है तो कई चीजें यूटेरस में इम्प्लांट होने से रोक सकती हैं।
  • सर्वाइकल म्यूकस स्पर्म को नुकसान पहुंचा सकता है या उनकी प्रगति को धीमा कर सकता है।
  • महिलाओं में, उम्र के साथ फर्टिलिटी कम हो जाती है, खासकर 35 साल की उम्र के बाद। 45 साल की उम्र के बाद प्रेगनेंट होना दुर्लभ है।

पुरुषों में इनफर्टिलिटी का सबसे आम कारण स्पर्म की समस्या है, इसके अलावा भी निम्न कारण हो सकते हैं:

  • स्पर्म की कम संख्या, जिसका मतलब है कि सीमन में बहुत कम या कोई स्पर्म नहीं है।
  • स्पर्म उस तरह से नहीं चलते हैं जैसे उन्हें चलना चाहिए, जिसे कम स्पर्म मोटिलिटी या शुक्राणु गतिशीलता कहा जाता है।
  • असामान्य रूप से स्पर्म बनना।
  • स्पर्म डक्ट ब्लॉक हैं।
  • एक और आम समस्या है कि बने हुए स्पर्म की मात्रा में अस्थायी गिरावट हो। ऐसा तब हो सकता है जब टेस्टिकल में चोट लग जाए। उदाहरण के लिए ऐसा तब हो सकता है कि टेस्टिकल बहुत लंबे समय तक बहुत गर्म थे। या यह हो सकता है कि केमिकल के संपर्क में थे या ऐसी दवाएं ले रहे थे जो स्पर्म बनाने के तरीके को प्रभावित करते हैं।
  • अगर आप शराब या स्मोकिंग करते हैं तो स्पर्म की संख्या कम हो सकती है। साथ ही, 40 साल और उससे ज्यादा उम्र के पुरुषों में फर्टिलिटी कम होती है।

इनफर्टिलिटी के प्रकार

प्राइमरी इनफर्टिलिटी :- प्राइमरी इनफर्टिलिटी एक ऐसी स्थिति के बारे में बताता है जिसमें एक महिला के लिए जीवित जन्म की अनुपस्थिति होती है जो बच्चा पैदा करने की इच्छा रखती है। सामान्य शब्दों में कहें तो यह तब होता है जब कपल ने एक बार भी प्रेगनेंसी कंसीव नहीं की है भले ही गर्भ निरोधकों या कंडोम का कोई इस्तेमाल न किया हो।

सेकेंडरी इनफर्टिलिटी :- दूसरी तरह की इनफर्टिलिटी एक ऐसी कंडीशन है जिसमें एक कपल ने पहले प्रेगनेंसी कंसीव की हो। या तो प्रेगनेंसी का फुल टर्म तक गई थी या उनका मिसकैरेज हो गया था। लेकिन उस कोशिश के बाद भी वे प्रेगनेंसी कंसीव नहीं कर पाई हैं।

दो प्रकार की फर्टिलिटी को जानने के बाद यह भी जानना जरूरी है कि इनफर्टिलिटी पुरुष और महिला दोनों में दोषों के कारण हो सकती है।

इनफर्टिलिटी के जोखिम

ये कारक पुरुष-महिला दोनों में इनफर्टिलिटी के जोखिम को बढ़ाते हैं:

  • उम्र (महिलाओं के लिए 35 साल से ज्यादा या पुरुषों के लिए 40 साल से ज्यादा)।
  • डायबिटीज।
  • एनोरेक्सिया नर्वोसा और बुलिमिया जैसे ईटिंग डिसऑर्डर।
  • शराब का ज्यादा सेवन।
  • लीड (सीसा) और पेस्टिसाइड्स (कीटनाशकों) जैसे पर्यावरणीय विषाक्त पदार्थों के संपर्क में होना।
  • ज्यादा एक्सरसाइज करना।
  • रेडिएशन थेरेपी या अन्य कैंसर उपचार।
  • सेक्सुअल ट्रांसमिटेड इंफेक्शन (एसटीडी)।
  • स्मोकिंग।
  • तनाव।
  • वजन की समस्याएं (मोटापा या कम वजन)।

ये कारक महिला बांझपन में योगदान कर सकते हैं:

  • असामान्य मासिक धर्म।
  • ब्लॉक फैलोपियन ट्यूब।
  • सीलिएक रोग।
  • किडनी की बीमारी।
  • विगत अस्थानिक (ट्यूबल) गर्भावस्था।
  • पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज।
  • पिट्यूटरी ग्लैंड डिसऑर्डर जैसे कुशिंग सिंड्रोम।
  • पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस), ओवेरियन सिस्ट और प्राइमरी ओवेरियन अपर्याप्तता।
  • सिकल सेल एनीमिया।
  • एंडोमेट्रियोसिस, यूटेरिन फाइब्रॉएड और यूटेरिन पॉलीप्स सहित यूटेरस की समस्याएं।
  • थायरॉइड की बीमारी।

ये कारक पुरुष बांझपन का कारण बन सकते हैं:

  • स्क्रोटम यानी अंडकोष रखने वाली थैली में बढ़ी हुई नसें (वैरिकोसेल)।
  • जेनेटिक डिसऑर्डर जैसे सिस्टिक फाइब्रोसिस।
  • टाइट कपड़े या गर्म टब और सौना (प्रोडक्ट) के लगातार इस्तेमाल से टेस्टिकल का हीट से एक्सपोजर।
  • टेस्टिकल या स्क्रोटम में चोट।
  • स्पर्म की कम संख्या या कम टेस्टोस्टेरोन (हाइपोगोनाडिज्म)।
  • अनाबोलिक स्टेरॉयड का दुरुपयोग।
  • प्रीमेच्योर इजेकुलेशन यानी शीघ्रपतन या रेट्रोग्रेड इजेकुलेशन यानी प्रतिगामी स्खलन (सीमन ब्लैडर में वापस बहता है)।
  • टेस्टिकुलर कैंसर और इसका उपचार।

Cicle ही क्यों?

Cicle एक हेल्थ फ्रेंडली एप्लीकेशन है, जहां आप प्रेगनेंसी से जुड़े मामलों में कंसल्ट कर सकती है। आप अपनी सुविधा अनुसार घर बैठे ही हमारे एक्सपर्ट डॉक्टर की टीम से मदद ले सकती हैं। आप चाहे तो हमारे डॉक्टर से अपॉइंटमेंट बुक कर अपने घर पर ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सलाह ले सकती हैं। अपॉइटमेंट बुक करने के लिए यहां क्लिक करें।

इनफर्टिलिटी से जुड़ी गलत धारणाएं

इनफर्टिलिटी आमतौर पर महिला की गलती होती है।

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (एनआईएच) के मुताबिक, इनफर्टिलिटी के एक तिहाई मामले पुरुष प्रजनन संबंधी समस्याओं के कारण होते हैं, एक तिहाई महिला प्रजनन संबंधी समस्याओं के कारण, और एक तिहाई दोनों पक्षों या अज्ञात कारकों के कारण होते हैं।

बर्थ कंट्रोल का इस्तेमाल करने से इनफर्टिलिटी हो सकती है?

बर्थ कंट्रोल पिल फर्टिलिटी को सकारात्मक या नकारात्मक रूप से प्रभावित नहीं करती है। और एक महिला का सामान्य मासिक धर्म चक्र लगभग हमेशा एक या दो महीने के अंदर जारी रहता है अगर उसने बर्थ कंट्रोल पिल लेना बंद कर दी है तो। लेकिन अगर बर्थ कंट्रोल पिल लेना बंद करने के तीन महीनों के भीतर चीजें सामान्य नहीं होती हैं, तब गायनेकोलॉजिस्ट से तुरंत अपॉइंटमेंट लें।

अगर कोई पुरुष इजैकुलेट कर सकता है तो उसे फर्टिलिटी की समस्या नहीं है?

असल में पुरुष में इनफर्टिलिटी की समस्या को समझना इतना आसान नहीं है। इनफर्टिलिटी वाले ज्यादातर पुरुषों में कोई ध्यान देने योग्य लक्षण नहीं होते हैं कि कोई समस्या है। आमतौर पर लोग कल्पना करते हैं कि इनफर्टिलिटी का कारण स्पर्म की कम संख्या हो सकती है, लेकिन स्पर्म की गति (गतिशीलता) और स्पर्म का आकार (आकृति विज्ञान) भी एक भूमिका निभाते हैं। रिसर्च के मुताबिक, जो पुरुष शारीरिक रूप से मेहनत का काम करते हैं या जो दो या दो से ज्यादा दवाएं लेते हैं, उनमें स्पर्म की संख्या कम हो सकती है, और हाई ब्लड प्रेशर स्पर्म के आकार को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है।

इनफर्टिलिटी की जांच

अगर आप प्रेगनेंसी कंसीव करने की कोशिश कर रही हैं और नहीं कर पा रही हैं तब आप तुरंत डॉक्टर से सम्पर्क करें। डॉक्टर आपके और आपके साथी की फर्टिलिटी का आकलन करने के लिए टेस्ट करेंगे।

डॉक्टर ओवुलेशन के संकेतों को रिकॉर्ड करने के लिए कह सकते हैं जैसे कि बेसल बॉडी टेम्परेचर और सर्वाइकल म्यूकस। होम ओवुलेशन किट का भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

दिए गए टेस्ट महिला फर्टिलिटी की समस्या का पता लगाने के लिए किए जा सकते हैं:

पेल्विक एग्जाम :-

डॉक्टर संरचनात्मक समस्याओं या बीमारी के लक्षणों की जांच के लिए पैप स्मीयर सहित पैल्विक एग्जाम करेंगे।

ब्लड टेस्ट:-

ब्लड टेस्ट थायराइड हार्मोन सहित हार्मोन के स्तर की जांच करने के लिए किया जाता है।

ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड:-

डॉक्टर रिप्रोडक्टिव सिस्टम की समस्याओं को देखने के लिए वेजाइना में एक अल्ट्रासाउंड वैंड डालते हैं।

हिस्टेरोस्कोपी:-

डॉक्टर यूटेरस की जांच के लिए वेजाइना में एक पतली, रोशनी वाली ट्यूब (हिस्टेरोस्कोप) डालते हैं।

सेलाइन सोनोहिस्टेरोग्राम (एसआईएस):-

डॉक्टर यूटेरस को सेलाइन (स्टर्लाइज्ड साल्ट वाटर) से भरते हैं और ट्रांसवेजिनल अल्ट्रासाउंड करता है। इससे पुरे यूटेरस के अंदर देखना आसान बन जाता है।

हिस्टेरोसाल्पिंगोग्राम (HSG):-

एक्स-रे एक इंजेक्शन योग्य डाई पर कैप्चर कर लेते हैं क्योंकि यह फैलोपियन ट्यूब के जरिए गुजरता है। यह टेस्ट ब्लॉकेज की तलाश करता है।

लैप्रोस्कोपी:-

डॉक्टर लेप्रोस्कोप (एक कैमरे के साथ पतली ट्यूब) को पेट के एक छोटे से चीरे के जरिए डालते हैं। महिला पेल्विक लैप्रोस्कोपी एंडोमेट्रियोसिस, यूटेरिन फाइब्रॉएड और स्कार टिश्यू जैसी समस्याओं की पहचान करने में मदद करती है।

पुरुष फर्टिलिटी की जांच करने के लिए निम्न टेस्ट कर सकते हैं:

सीमन एनालिसिस :-

यह टेस्ट स्पर्म की समस्याओं की जांच करता है, जैसे कि स्पर्म की कम संख्या और खराब गतिशीलता। कुछ पुरुषों को टेस्टिकल से स्पर्म निकालने और उसका टेस्ट करने के लिए नीडल बायोप्सी की जरूरत होती है। ज्यादातर पुरुषों के लिए यह एकमात्र टेस्ट है जिसकी जरूरत इनफर्टिलिटी जानने के लिए होगी।

ब्लड टेस्ट:-

ब्लड टेस्ट टेस्टोस्टेरोन, थायराइड और अन्य हार्मोन के स्तर की जांच कर सकता है। जेनेटिक ब्लड टेस्ट क्रोमोसोम संबंधी असामान्यताओं की तलाश करते हैं।

स्क्रोटल (अंडकोश) का अल्ट्रासाउंड:-

स्क्रोटम का अल्ट्रासाउंड वैरिकोसेल या अन्य टेस्टिकुलर समस्याओं की पहचान करता है।

इनफर्टिलिटी की रोकथाम

पुरुष और महिलाएं फर्टिलिटी की रक्षा के लिए ये कदम उठा सकते हैं, खासकर प्रेगनेंसी कंसीव करने की कोशिश करते समय इन चीजों का ध्यान रखना चाहिए:

  • संतुलित डाइट लें और स्वस्थ वजन बनाए रखें।
  • स्मोकिंग न करें, नशीले पदार्थों का इस्तेमाल और ज्यादा शराब का सेवन न करें।
  • सेक्सुअल ट्रांसमिटेड इंफेक्शन का इलाज कराएं।
  • टॉक्सिन पदार्थों के संपर्क को सीमित करें।
  • शारीरिक रूप से एक्टिव रहें, लेकिन ज्यादा एक्सरसाइज न करें।

डॉक्टर के पास कब जाएं ?

आपको इनफर्टिलिटी को लेकर डॉक्टर को दिखाने की तब तक ज़रूरत नहीं है जब तक कि आप कम से कम एक साल के लिए प्रेगनेंट होने के लिए नियमित रूप से कोशिश नहीं कर रही हैं। महिलाओं को पहले डॉक्टर से बात करनी चाहिए, हालांकि अगर वे:

  • 35 साल या उससे ज्यादा उम्र के हैं और छह महीने या उससे ज्यादा समय से प्रेगनेंसी कंसीव करने की कोशिश कर रहे हैं।
  • 40 से ज्यादा उम्र के हैं।
  • अनियमित या अनुपस्थित पीरियड्स है।
  • बहुत दर्दनाक पीरियड्स हो रहे हैं।
  • आपको कोई फर्टिलिटी की समस्या है।
  • एंडोमेट्रियोसिस या पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज हो।
  • कई बार मिसकैरेज हो चुका है।
  • कैंसर का इलाज करा चुके हैं।

पुरुषों को डॉक्टर से बात करनी चाहिए अगर:

  • स्पर्म की कम संख्या या स्पर्म के साथ अन्य समस्याएं हो।
  • टेस्टिक्युलर, प्रोस्टेट या सेक्सुअल प्रॉब्लम की हिस्ट्री हो।
  • कैंसर का इलाज चल रहा है
  • छोटे टेस्टिकल या स्क्रोटम में सूजन हो।
  • परिवार में अन्य लोगों को इनफर्टिलिटी की समस्या है।

इनफर्टिलिटी का उपचार

अगर आप और पार्टनर प्रेगनेंसी कंसीव करने की कोशिश कर रहे हैं और नहीं कर पाए हैं तो उपचार के लिए डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं। डॉक्टर किस तरह का उपचार देते हैं, यह कई कारकों पर निर्भर हो सकता है, जिनमें शामिल हैं:

  • इनफर्टिलिटी का कारण, अगर ज्ञात हो।
  • आप कब से प्रेगनेंसी कंसीव करने की कोशिश कर रही हैं।
  • आपकी उम्र।
  • आप और आपके पार्टनर दोनों की सेहत।
  • आपके और आपके पार्टनर की व्यक्तिगत प्राथमिकताएं, उपचार के विकल्पों के बारे में परामर्श।

पुरुष

कारण के आधार पर पुरुष इनफर्टिलिटी का कई तरह से इलाज किया जा सकता है। पुरुषों के लिए उपचार के विकल्पों में सर्जरी, दवा और असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी यानी सहायक प्रजनन तकनीक (एआरटी) शामिल हो सकते हैं।

सर्जरी उन अवरोधों को ठीक कर सकती है जो स्पर्म को इजैकुलेट के समय मौजूद होने से रोक रहे हैं। यह वैरीकोसेल जैसी कंडीशन को भी ठीक कर सकता है। कुछ मामलों में स्पर्म सीधे टेस्टिकल से प्राप्त किए जा सकते हैं जिसके बाद इसका इस्तेमाल असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी उपचार में किया जा सकता है।

हार्मोनल असंतुलन जैसे मुद्दों के इलाज के लिए दवाओं का इस्तेमाल किया जा सकता है। इनका इस्तेमाल अन्य स्थितियों के इलाज के लिए भी किया जा सकता है जो पुरुष फर्टिलिटी को प्रभावित कर सकते हैं, जैसे कि ईडी या इंफेक्शन जो स्पर्म की संख्या को प्रभावित करते हैं।

असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी में एग और स्पर्म को शरीर के बाहर नियंत्रित किया जाता है। इसमें इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) और इंट्रासाइटोप्लाज्मिक स्पर्म इंजेक्शन जैसे उपचार शामिल हो सकते हैं। असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी उपचार के लिए स्पर्म इजेकुलेशन, टेस्टिकल से निष्कर्षण, या डोनर से प्राप्त किया जा सकता है।

महिला

महिला इनफर्टिलिटी के उपचार में सर्जरी, दवा और रिप्रोडक्टिव असिस्टेंस उपचार शामिल हो सकते हैं। कभी-कभी महिला इनफर्टिलिटी को दूर करने में मदद के लिए कई प्रकार के उपचार की जरूरत होती है।

हालांकि कभी-कभी महिलाओं में इनफर्टिलिटी के इलाज के लिए सर्जरी का इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन फर्टिलिटी उपचारों में एडवांसमेंट के कारण अब सर्जरी करना दुर्लभ है। सर्जरी फर्टिलिटी में सुधार कर सकती है:

रिप्रोडक्टिव असिस्टेंस में इंट्रायूटेरिन इनसेमिनेशन (IUI) और असिस्टेंट रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी जैसे तरीके शामिल हो सकते हैं। आईयूआई के दौरान, ओवुलेशन के समय के करीब लाखों स्पर्म एक महिला के यूटेरस में इंजेक्ट किए जाते हैं।

आईवीएफ एक प्रकार की असिस्टेंट रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी है और इसमें से उन एग को निकालना शामिल है जिन्हें बाद में एक लैब में स्पर्म के साथ फर्टिलाइज्ड किया जाता है। फर्टिलाइजेशन के बाद एम्ब्रो को वापस यूटेरस में रखा जाता है।

महिला इनफर्टिलिटी का इलाज करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवाएं हार्मोन की तरह काम करती हैं जो शरीर में स्वाभाविक रूप से मौजूद होती हैं या तो ओवुलेशन को प्रोत्साहित या नियंत्रित करती हैं।

इनफर्टिलिटी में डाइट

इनफर्टिलिटी में डाइट का ध्यान रखना जरूरी है। डाइट इसमें एक बड़ा रोल निभाती है। सामान्यतया हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाने से फर्टिलिटी को बढ़ाने में मदद मिल सकती है। डाइट में ताजे फल और सब्जियों, साबुत अनाज खाएं। फाइबर और फोलेट सेवन को बढ़ावा देता है। रोजाना मल्टीविटामिन लेने पर विचार करें। अगर शराब पीते हैं तो शराब का सेवन कम करना या खत्म करें। अगर कैफीन का सेवन करते हैं तो कैफीन का सेवन कम करें। अगर आप कंफ्यूज है तो हमारे एक्सपर्ट डाइटीशियन से संपर्क कर सकते हैं। अपॉइंटमेंट बुक करने के लिए यहां क्लिक करें।

आपके लिए बेस्ट ट्रीटमेंट

इनफर्टिलिटी का कारण जानकर इसका इलाज किया जाता है। आपके लिए बेस्ट ट्रीटमेंट वही है जो इसके कारकों पर निर्भर करता है। किसी भी असुविधा से बचने के लिए डॉक्टर से सलाह लें। एक साल से ज्यादा समय होने पर अगर प्रेगनेंसी न हो तब तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

अगर एक बच्चा हो जाने के बाद भी इनफर्टिलिटी हो सकती है?

हां, एक बच्चा हो जाने के बाद भी इनफर्टिलिटी हो सकती है, इसे सेकेंडरी इनफर्टिलिटी कहते हैं। कभी-कभी नए कारक, जैसे इंफेक्शन ने पिछले बच्चे के जन्म के बाद से रिप्रोडक्टिव ऑर्गन को नुकसान पहुंचाया है। कभी-कभी उम्र बढ़ने की प्रक्रिया कपल के लिए प्रेगनेंसी को मुश्किल बना देती है।

आम तौर पर इस मामले में जांच और उपचार समान होता है। हालांकि सेकेंडरी इनफर्टिलिटी वाले कपल अलग-अलग उपचार विकल्प चुन सकते हैं।

क्या इनफर्टिलिटी के लिए महिला-पुरुष दोनों को टेस्ट करवाना होगा?

इनफर्टिलिटी के लिए हमेशा पुरुष और महिला दोनों ही इनफर्टिलिटी का कारण हो सकते हैं। इसमें सीमन एनालिसिस, ब्लॉक फैलोपियन ट्यूब, पेल्विक इंफेक्शन की जांच की जा सकती है।

इनफर्टिलिटी से जुड़ी रिसर्च

इनफर्टिलिटी दुनिया भर में रिप्रोडक्टिव आयु वर्ग के 15% कपल को प्रभावित करता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, भारत में प्राइमरी इनफर्टिलिटी का कुल प्रसार 3.9 से 16.8% के बीच है। ऐसी स्थिति में किसी भी लक्षण को बिना नजरअंदाज किए डॉक्टर को जरूर बताएं। आप चाहें तो घर पर रहकर ही अपनी सहूलियत के हिसाब से हमारे डॉक्टर से अपॉइंटमेंट बुक कर सलाह ले सकते हैं। /

    • असामान्य रूप से आकार के यूटेरस को ठीक करना।
    • फैलोपियन ट्यूब को अनब्लॉक करना।
    • फाइब्रॉएड हटना।

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